narsingh chalisa

narsingh chalisa नित-प्रति पाठ करे इक बारा‎सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।।35।।‎‎नरसिंह चालीसा जो जन गावे‎दु:ख-दरिद्र ताके निकट न आवे।।36।।‎‎चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे‎सो नर जग में सब कुछ पावे।।37।।‎‎यह श्री नरसिंह चालीसा‎पढ़े रंक होवे अवनीसा।।38।।‎‎जो ध्यावे सो नर सुख पावे‎तोही विमुख बहु दु:ख उठावे।।39।।‎‎‘शिवस्वरूप है शरण तुम्हारी‎हरो नाथ सब विपत्ति हमारी’।।40।।‎‎चारों युग गायें तेरी महिमा अपरंपार।‎निज … Read more

parvati chalisa

parvati chalisa दोहा ॥‎जय गिरि तनये दग्ये शम्भू प्रिये गुणखानि‎गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवामिनी‎‎॥ चौपाई ॥‎ब्रह्मा भेद न तुम्हारे पावे, पांच बदना नित तुमको ध्यावे‎षट्मुखकाही न सक्तयश तेरो, सहसब श्रम करात घनेरो ॥1॥‎‎तेरो पार न पाबत माता, स्थित रक्षा ले हित दण्ड,‎आधार प्रबल सदृसिह अरुणाय, अति कामनाय नयन कजरारे ॥2॥‎‎ललित लालट विलेपिट … Read more

hanuman vadvanal stotra

hanuman vadvanal stotra विनियोग ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः,श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं,मम समस्त विघ्न-दोष-निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थेसकल-राज-कुल-संमोहनार्थे, मम समस्त-रोग-प्रशमनार्थम् आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त-पाप-क्षयार्थंश्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये। ध्यानमनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।। ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते प्रकट-पराक्रमसकल-दिङ्मण्डल-यशोवितान-धवलीकृत-जगत-त्रितयवज्र-देह रुद्रावतार लंकापुरीदहय उमा-अर्गल-मंत्रउदधि-बंधन दशशिरः कृतान्तक सीताश्वसन वायु-पुत्रअञ्जनी-गर्भ-सम्भूत … Read more

hanuman ji ki aarti

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे। hanuman ji ki … Read more

surya chalisa

surya chalisa दोहा ॥‎कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,‎पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥‎चौपाई ॥‎जय सविता जय जयति दिवाकर,‎सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥‎‎भानु पतंग मरीची भास्कर,‎सविता हंस सुनूर विभाकर॥‎‎विवस्वान आदित्य विकर्तन,‎मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥‎‎अम्बरमणि खग रवि कहलाते,‎वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 4‎‎सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि,‎मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥‎‎अरुण सदृश सारथी मनोहर,‎हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥‎‎मंडल की महिमा … Read more

radha chalisa

radha chalisa ‎दोहा ॥‎श्री राधे वुषभानुजा,‎भक्तनि प्राणाधार ।‎वृन्दाविपिन विहारिणी,‎प्रानावौ बारम्बार ॥‎जैसो तैसो रावरौ,‎कृष्ण प्रिया सुखधाम ।‎चरण शरण निज दीजिये,‎सुन्दर सुखद ललाम ॥‎‎॥ चौपाई ॥‎जय वृषभान कुँवरी श्री श्यामा ।‎कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥‎‎नित्य विहारिनि श्याम अधारा ।‎अमित मोद मंगल दातारा ॥‎‎रास विलासिनि रस विस्तारिनि ।‎सहचरि सुभग यूथ मन भावनि ॥‎‎नित्य किशोरी राधा गोरी ।‎श्याम प्राणधन … Read more

aparajita stotram

aparajita stotram श्रीत्रैलोक्यविजया अपराजितास्तोत्रम्।ॐ नमोऽपराजितायै।ॐ अस्य वैष्णवायः पराया अजिताय महाविद्याःवामदेव-बृहस्पति-मार्कण्डेय ऋषयः।गायत्र्युष्णिग्नुस्तुब्बृहति छन्दंसि।लक्ष्मीनृसिंहो देवता ।ॐ क्लीं श्रीं ह्रीं बीजम्।हुं शक्तिः ।सकलकामनासिद्ध्यर्थं अपराजितविद्यामन्त्रपथे विनियोगः।ॐ नीलोत्पलदलश्यामां भुजङ्गाभरणन्विताम्।शुद्धस्फटिकासङकाशां चन्द्रकोटिनिभन्नाम् ॥ ॥शंखचक्रधरां देवी वैष्णवीमपराजिताम्बालेन्दुशेखरं देवीं वरदाभ्यदायिनीम् ॥ 2॥नमस्कृत्य पपाठैनां मार्कण्डेयो महात्पाः ॥ 3॥मार्कण्डेय उवाच –शृणुष्वं मनुष्यः सर्वे सर्वकामार्थसिद्धिदाम्।असिद्धसाधनिं देवीं वैष्णवीम्पराजिताम् ॥ 4॥ॐ नमो नारायणाय, नमो भगवते वासुदेवाय,नमोऽस्तवनन्ताय सहस्रशीर्षायने, क्षीरोदार्नवशायिने,शेषभोगपर्यङ्काय, गरुड़वाहनाय, … Read more

mata vaishno devi chalisa

mata vaishno devi chalisa गरुड़ वाहिनी वैष्णवी‎त्रिकुटा पर्वत धाम‎काली, लक्ष्मी, सरस्वती,‎शक्ति तुम्हें प्रणाम।‎‎॥ चौपाई ॥‎नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,‎कलि काल मे शुभ कल्याणी।‎मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी,‎पिंडी रूप में हो अवतारी॥‎‎देवी देवता अंश दियो है,‎रत्नाकर घर जन्म लियो है।‎करी तपस्या राम को पाऊं,‎त्रेता की शक्ति कहलाऊं॥‎‎कहा राम मणि पर्वत जाओ,‎कलियुग की देवी कहलाओ।‎विष्णु रूप से कल्कि … Read more

laxmi chalisa

laxmi chalisa दोहा‎मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।‎मनो इच्छा सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥‎सिन्धु सुता विष्णुप्रिये नट श्री बारम्बार।‎ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नट श्री बारंबार ॥ टेक ॥‎सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥‎तुम समान नहीं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥‎जय जय जगत जननि जगदंबा। हर एक तुम्हीं हो … Read more

vishnu sahasra

vishnu sahasra विश्वं विष्णुर्वषट्कारो भूतभव्यभवत्प्रभुः ।भूतकृद्भूतभृद्भावो भूतात्मा भूतभावनः ॥ १ ॥ पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमा गतिः ।अव्ययः पुरुषः साक्षी क्षेत्रज्ञोऽक्षर एव च ॥ २ ॥ योगो योगविदां नेता प्रधानपुरुषेश्वरः ।नारसिंहवपुः श्रीमान् केशवः पुरुषोत्तमः ॥ ३ ॥सर्वः शर्वः शिवः स्थाणुर्भूतादिर्निधिरव्ययः ।संभवो भावनो भर्ता प्रभवः प्रभुरीश्वरः ॥ ४ ॥स्वयम्भूः शम्भुरदित्यः पुष्कराक्षो महास्वनः ।अनादिनिधनो धाता विधाता धातुरुत्तमः … Read more