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# 🌊 गंगा दशहरा 2025: पवित्र गंगा के अवतरण का पर्व – तिथि, महत्त्व, कथा और पूजा विधि
## 🔖 भूमिका
भारत में गंगा नदी को केवल एक जलधारा नहीं, बल्कि एक देवी, एक मां और एक आध्यात्मिक प्रतीक माना जाता है। गंगा दशहरा वह पावन पर्व है, जब देवी गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। **गंगा दशहरा 2025** में यह पर्व **10 जून, मंगलवार** को मनाया जाएगा।
गंगा दशहरा का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व बेहद गहरा है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से दस प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसीलिए इसे दशहरा कहा जाता है – ‘दश’ यानी दस और ‘हारा’ यानी नाश।
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## 🧭 गंगा दशहरा का इतिहास
### 📜 पौराणिक कथा:
गंगा दशहरा की कथा रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में भी मिलती है। इसके अनुसार:
राजा **भगीरथ** ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए घोर तप किया, ताकि स्वर्ग से गंगा को पृथ्वी पर लाया जा सके। भगवान ब्रह्मा ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा को पृथ्वी पर भेजने की अनुमति दी, लेकिन गंगा की प्रचंड धारा को रोक पाना संभव नहीं था।
तब राजा भगीरथ ने **भगवान शिव** की तपस्या की। शिवजी ने प्रसन्न होकर गंगा की धाराओं को अपनी जटाओं में समाहित किया और फिर धीरे-धीरे पृथ्वी पर उतारा। यही दिन **गंगा दशहरा** के रूप में जाना गया।
इस दिन को देवी गंगा के धरती पर अवतरित होने की स्मृति में मनाया जाता है।
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## 📅 गंगा दशहरा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
* **तिथि:** 10 जून 2025 (मंगलवार)
* **दशमी तिथि प्रारंभ:** 09 जून रात 11:30 बजे से
* **दशमी तिथि समाप्त:** 10 जून रात 1:15 बजे तक
* **स्नान-दान मुहूर्त:** 10 जून को सूर्योदय से दोपहर तक सबसे शुभ माना जाता है।
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## ✨ गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व
गंगा को ‘त्रिपथगा’ कहा जाता है, क्योंकि वह स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल तीनों लोकों से जुड़ी हैं। उन्हें ‘मोक्षदायिनी’ माना जाता है। गंगा दशहरा पर इन कार्यों को करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है:
1. **गंगा स्नान:** पापों से मुक्ति मिलती है।
2. **गंगाजल से पूजा:** मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
3. **दान-पुण्य:** अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।
4. **गंगा जल का छिड़काव:** घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
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## 🪔 पूजा विधि (Ganga Dussehra Puja Vidhi in Hindi)
1. प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो गंगा नदी में स्नान करें।
2. गंगाजल से घर और पूजा स्थान को शुद्ध करें।
3. मां गंगा की मूर्ति या चित्र पर पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
4. “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ गंगे नमः” मंत्र का जाप करें।
5. भगवान भगीरथ, शिवजी और मां गंगा की कथा सुनें या पढ़ें।
6. गरीबों को जल, फल, छाता, पंखा, वस्त्र आदि का दान करें।
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## 📖 धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक संदर्भ
* स्कंद पुराण, पद्म पुराण और वाल्मीकि रामायण में गंगा दशहरा का वर्णन मिलता है।
* ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया दान **सहस्त्रगुना** फल देता है।
* गंगा का नाम केवल लेने से भी पवित्रता मिलती है — “गंगेति यो गदति नरो नरोत्तमः।”
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## 🧘 गंगा दशहरा और दस पापों का नाश
शास्त्रों के अनुसार गंगा दशहरा पर स्नान से **दस प्रकार के पापों** का नाश होता है:
1. तीन प्रकार के **कायिक** पाप (शारीरिक)
2. चार प्रकार के **वाचिक** पाप (वाणी से)
3. तीन प्रकार के **मानसिक** पाप (मन से)
इन पापों के नाश से आत्मा शुद्ध होती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।
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## 🌆 गंगा दशहरा के प्रमुख तीर्थ स्थल
गंगा दशहरा पर लाखों श्रद्धालु निम्नलिखित स्थानों पर जाकर स्नान करते हैं:
1. **हरिद्वार**
2. **वाराणसी**
3. **प्रयागराज (इलाहाबाद)**
4. **ऋषिकेश**
5. **गंगोत्री**
6. **पटना (गांधी घाट)**
7. **कानपुर (भीतरगांव)**
इन स्थानों पर इस दिन विशेष आरती, भजन-कीर्तन और भव्य शोभायात्राएं होती हैं।
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## 📡 आधुनिक संदर्भ में गंगा दशहरा
आज के युग में जहां जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है, गंगा दशहरा हमें गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने की प्रेरणा देता है। यह पर्व केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक आंदोलन है – गंगा को बचाने और उसका सम्मान करने का।
सरकार द्वारा चलाए गए कार्यक्रम जैसे:
* **नमामि गंगे मिशन**
* **गंगा एक्शन प्लान**
इन सबको सफल बनाने में आम जनता की भागीदारी ज़रूरी है।
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## 🌿 गंगा दशहरा और पर्यावरण
गंगा केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि **भारत की जीवनरेखा** है। इसके संरक्षण के लिए हम यह कर सकते हैं:
* गंगा में प्लास्टिक या केमिकल युक्त पदार्थ न डालें।
* पूजा सामग्री नदी में प्रवाहित न करें।
* स्थानीय प्रशासन द्वारा बनाए गए गंगा स्वच्छता नियमों का पालन करें।
* अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें।
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## 📌 निष्कर्ष
**गंगा दशहरा** केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक अवसर है — पवित्रता, पर्यावरण संरक्षण, संस्कृति और अध्यात्म को फिर से आत्मसात करने का। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि हम केवल उपासक नहीं हैं, बल्कि रक्षक भी हैं – गंगा मां की, संस्कृति की और प्रकृति की।
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