निर्जला एकादशी 2025: पूजा विधि, महत्व, व्रत कथा और उपाय

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से भगवान विष्णु की उपासना के लिए मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो पूरे वर्ष में अन्य एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते, क्योंकि निर्जला एकादशी का व्रतVastu Shastra सभी एकादशियों के समान पुण्य प्रदान करता है। इस लेख में हम निर्जला एकादशी 2025 की पूजा विधि, महत्व, व्रत कथा और इस दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे।


📅 निर्जला एकादशी 2025 की तिथि

निर्जला एकादशी 2025 में 6 जून, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है।


🕉️ निर्जला एकादशी का महत्व

निर्जला एकादशी का व्रत विशेष रूप से पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से:

  • सभी एकादशियों के समान पुण्य प्राप्त होता है।
  • पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • वर्षभर के व्रतों का फल एक ही दिन में मिल जाता है।
  • भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

📖 निर्जला एकादशी व्रत कथा

महाभारत के भीमसेन ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि वह सभी एकादशियों का व्रत कैसे करें, क्योंकि वह भोजन के बिना नहीं रह सकते थे। तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत करने की सलाह दी, जिसमें न तो जल का सेवन करना होता है और न ही कोई अन्य आहार। इस व्रत को करने से सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है। भीमसेन ने इस व्रत को श्रद्धापूर्वक किया और उन्हें सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त हुआ।


🛕 पूजा विधि

निर्जला एकादशी के दिन पूजा विधि निम्नलिखित है:

1. प्रातःकाल का समय

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और सफेद वस्त्र पहनें।
  • भगवान विष्णु की पूजा के लिए चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

2. पूजा सामग्री

पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर)
  • तुलसी के पत्ते
  • फूल (कमल, गुलाब, गेंदा)
  • धूप, दीपक और अगरबत्ती
  • नैवेद्य (फल, मिठाई)
  • शंख, घंटी और दीपक
  • पानी से भरा कलश (दान के लिए)

3. पूजा विधि

  • पंचामृत से भगवान की अभिषेक करें और फिर पवित्र जल से स्नान कराएं।
  • भगवान को तुलसी के पत्ते, फूल, नैवेद्य अर्पित करें।
  • धूप, दीपक जलाकर भगवान की पूजा करें।
  • भगवान के मंत्रों का जाप करें, जैसे:
    • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    • लक्ष्मीनारायणाय नमः
    • विष्णु भगवाने वासुदेवाय नमः
  • व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
  • रात्रि में कीर्तन करें और भजन गायें।

4. पारण विधि

व्रत का पारण द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद करें:

  • पहले तुलसी के पत्ते का सेवन करें।
  • फिर फल और दूध का सेवन करें।
  • अंत में सादा भोजन ग्रहण करें।

🛡️ व्रत के नियम और सावधानियाँ

  • पानी का सेवन वर्जित है, हालांकि बीमार व्यक्ति को छूट है।
  • तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन) से परहेज करें।
  • दिन में सोना व्रत के फल को नष्ट कर सकता है।
  • काले वस्त्र न पहनें और मधुर वाणी का प्रयोग करें।
  • दान में जल से भरे कलश, तिल, फल, वस्त्र आदि दें।

💰 विशेष उपाय और दान

निर्जला एकादशी पर किए गए कुछ विशेष उपाय और दान अत्यंत पुण्यकारी माने जाते हैं:

  • जल से भरे मटके का दान करें।
  • तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें।
  • गरीबों को भोजन, वस्त्र, पंखा, जूता, छाता आदि का दान करें।
  • पानी पिलाना और पशु-पक्षियों को जल देना भी पुण्यदायी है।

🌟 2025 के लिए विशेष ज्योतिष उपाय

2025 में निर्जला एकादशी पर गजकेसरी योग का संयोग बन रहा है, जो धन-संपत्ति और समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस दिन किए गए उपायों से आर्थिक उन्नति और जीवन में सुख-शांति प्राप्त हो सकती ह

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