कालसर्प योग: 12 प्रकार और उनके शांति उपाय

कुंडली के अनुसार 12 प्रकार के कालसर्प योग के शांति के उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कालसर्प योग समस्या ला देता है, यहां तक ​​कि अकाल मृत्यु का भी कारण बनता है। और मानसिक कष्ट सहना है इसके प्रभाव से कई तरह की परेशानियाँ जातकों को परेशान करना पड़ता है यह योग कभी-कभी अनुकूल फल भी देता है और व्यक्ति को विश्व स्तर पर समान रूप से प्राप्त कर देता है आइए जानते हैं कि कालसर्प योग क्या है और कितने प्रकार के होते हैं और उसके दुष्प्रभाव से बचने के उपाय के लिए क्या-क्या किया जा सकता है पुस्तक परामर्श ते।

कालसर्प योग क्या है*

*ज्योतिष में कहा गया है की राहु का प्रभाव शनि के जैसा और केतु का प्रभाव मंगल के जैसा होता है अब देखिए राहु और केतु यह दोनों छाया ग्रह ऐसा माना जाता है कि वह जिस भाव में होते हैं अथवा जहां दृष्टि डालते हैं उसे राशि एवं भाव में स्थित सभी ग्रह अपनी विचार शक्ति अपनी भावना सभी प्रेरित कर दी केतु जिस भाव में बैठते हैं उसे राशि के भावेश अर्थात भाव के मालिक को केतु पर दृष्टिपात करने वाले ग्रह के प्रभाव में क्रिया करते जब कुंडली में राहु और केतु के अधीन सभी ग्रह हो जाते हैं अर्थात जब राहु और केतु के मध्य में सभी ग्रह आ जाते हैं तब कुंडली में कालसर्प योग नामक योग बनता है कालसर्प योग दो शब्दों से मिलकर बना है कल और दूसरा सर्प कल पहला शब्द है यानी जिसका अर्थ है मृत्यु और दूसरा शब्द सर्प जिसका तात्पर्य सीधा सर्प से कुंडली में कप सर्प योग के प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक कष्ट अत्यधिक रूप से परेशान करता है और इसके साथ-साथ कई तरह की परेशानियां जातक के जीवन में आया यह योग कभी-कभी विशेष अनुकूल हाल देते हैं और कभी-कभी विशेष प्रतिकूल फल देते हैं

कालसर्प योग के प्रकार

मुख्यतः जातक के जीवन में प्राय 12 प्रकार के कालसर्प योग बताए गए हैं जिसका नाम इस प्रकार से है एक अनंत कालसर्प योग

1अनंत कालसर्प योग प्रथम भाव से सप्तम भाव के बीच बनता है जब राहु प्रथम भाव में हो और केतु सप्तम भाव में हो और द्वितीय भाव से लेकर के सप्तम भाव तक में सभी ग्रह विद्यमान हो जाते हैं तब यह योग जातक के जीवन में लगता है और इसका नाम अनंत कालसर्प योग होता है अनंत कालसर्प योग के प्रभाव इस योग के प्रभाव के कारण जातक के जीवन में विशेष प्रकार की अस्थिरता नहीं होती है मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की कष्ट जातक के जीवन में होता है और जातक काफी संघर्ष का सामना करता है शांति के उपाय अनंत कालसर्प योग के शांति का उपाय इस प्रकार है किस योग की शांति के लिए बहते जल में चांदी के नाग और नागिन प्रवाहित करें यह 11 सोमवार करने से जातक के जीवन में कुछ बदलाव आता हैHome

2 कुलिक कालसर्प योग जब राहु द्वितीय भाव में और केतु स्तंभ भाव में स्थित हो और सारे ग्रह इन्हीं के बीच में हो तब जातक के जीवन में यह योग बनता है योग के प्रभाव कुलिक कालसर्प योग के कारण जातक कटु वचन बोलने वाला हो जाता है और पारिवारिक एवं मानसिक कष्ट का सामना करना पड़ता है अगर राहु बलवान हो तो जातक के जीवन में आकस्मिक धन की प्राप्ति का भी योग बनते हैं परंतु यह बहुत कम होते हैं अगर जातक व्यवसायक हो या उच्च पद का हो तब यह योग संभव हैं अन्यथा विशेष रूप से पारिवारिक कष्ट ही देते हैं

शांति के उपाय हनुमान जी के मंदिर में जाकर के शनिवार या मंगलवार को हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाएं हनुमान चालीसा हनुमान अष्टक का पाठ करें या सुंदरकांड का पाठ करें और तिल तेल का दिया जलाएं इससे शांति का उपाय हो सकता है और यह 11 शनिवार या मंगलवार करना है

बसुकी कालसर्प योग*

जब राहु तृतीय स्थान में हो और केतु नौवां भाव में हो और अन्य सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में हो तब यह योग बनता है बसु की कालसर्प योग के प्रभाव ऐसे जातक अपने भाई बंधुओ से मनमुटाव रहता है साहस पराक्रम में वृद्धि होती है लेकिन व्यापार एवं कार्य में अत्यधिक संघर्ष करना पड़ता है और पढ़ने वाले विद्यार्थी के जीवन में विद्या अध्ययन में मन कम लगता है शांति के उपाय महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए और सोमवार को शंकर जी पर दूध अर्पण करना चाहिए इससे प्रभाव कम होता है और जातक सुखी होता

शंखपालकालसर्प योग जब राहु चतुर्थ भाव में हो और केतु दशम में हो और अन्य सभी ग्रह इसके बीच में हो तभी योग बनता है इसके प्रभाव से मानसिक अशांति तथा मित्र संबंधियों से अनबन प्यार में धोखा शिक्षा प्रतियोगिता में कठोर संघर्ष करने के बाद सही सफलता नहीं प्राप्त होती है इसके शांति के लिए शुक्रवार को पानी वाले नारियल किसी नदी धारा में प्रवाहित करने से शांति प्रदान होता हैसाढ़ेसाती का दूसरा चरण मीन राशि के लिए बना सकता है वरदान – जानिए सकारात्मक असर और बचाव के उपाय

पद्म कालसर्प योग जब पंचम भाव में राहु हो और एकादशी में केतु हो तब यह ग्रह बनते हैं और सभी ग्रह इसके बीच में होने पर यह योग जातक के जीवन में आता है इसके कारण संतान में बाधा और मित्र संबंधियों से विश्वास घाट की संभावनाएं अत्यधिक प्रबल हो जाती है और जातक अच्छी शिक्षा के लिए कठिन परिश्रम करता है इसके शांति के उपाय के लिए अपने घर में पूजा स्थान में एक मोर पंख लगे और हनुमान जी की आराधना करें इससे शांति प्रदान होगा

महापदम कालसर्प योग जब सिस्टम भाव में राहु हो और द्वादश में केतु हो और उसके अधीनस्थ सभी ग्रहों तो यह महापदम नमक्कल सर्प योग बनता है इस योग के प्रभाव के कारण जातक रन और शत्रु से अत्यधिक रूप से परेशान हो जाता है कार्य क्षेत्र में अनेक प्रकार के शत्रु षड्यंत्र करनी में लग जाते हैं और वह सफलता जो मिलना चाहिए वह प्राप्त नहीं हो पाता और जातक हर समय कर्ज में डूबा रहता है इसकी शांति का उपाय चांदी से बनी सर्प के अंगूठी धारण करने से और हर सोमवार को भगवान शंकर को दूध अर्पण करने से या 11 रुद्राभिषेक करने से शांति प्रदान होती है

तक्षक कालसर्प योग जब राहु सप्तम में हो केतु प्रथम और अन्य सभी ग्रह इसके स्वामी हो तब यह ज्योतिष के जीवन में तक्षक कालसर्प योग बनता है इस योग के प्रभाव से ज्योतिष के दाम्पत्य जीवन में सफलता मिलती है और काफी परिश्रम करने के बाद सफलता नहीं मिलती है स्वास्थ्य पर इसके विपरीत प्रभाव पड़ता है लगभग यही होता है शांति के उपाय के लिए एक पुरुष चरण महामृत्युंजय मंत्र जब से मोक्ष मिलता हैhttp://Google.com

कर कोटक नामक कालसर्प योग जब राहु अष्टम भाव में हो और केतु द्वितीय भाव में हो और अन्य सभी ग्रह इसके बीच में हों तब यह ग्रह योग बनता है कर कोटक का अल्सर प्रयोग आर्थिक और अधिकारी से मनमुताव प्रेत वृद्धिओ का सामना करने वाले महान रूप से और अपने ही व्यक्ति को हमेशा के लिए अभ्यास में लगे रहते हैं जिसके कारण विशेष रूप से कष्ट और मानसिक और शारीरिक पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

शंखनाद कालसर्प योग जब राहु नमो में हो और केतु तृतीय में हो और अन्य सभी ग्रह मध्य में हो तब यह शंखनाथ नामक कालसर्प योग बनता है और जातक के जीवन में अतिशयोक्ति के रूप में प्रकट होता है। राहु और चतुर्थ में केतु हो और अन्य सभी ग्रह इसके स्वामी हों तब यह योग बनता है जिससे जातक के जीवन में स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में नौकरी में स्थान और स्थिरता की संभावना बनी रहती है, इसकी शांति के उपाय के लिए नियमित रूप से भूत भवन भोलेनाथ भगवान शंकर की आराधना करें ॐ नमः शिवाय का जाप करें जिससे शांति मिलेगीहनुमान जयंती 2025: मांगलिक दोष वाले करें ये खास उपाय, बदल जाएगी किस्मत!

बिस्धर कालसर्प योग जब राहु एकादशी भाव में हो और केतु पंचम भाव में हो और सभी ग्रह इसके अधीनस्थ हो तब यह योग बनता है इस योग के प्रभाव के कारण जातक के जीवन में नेत्र पीड़ा हृदय रोग और बड़े भाई संबंध की दृष्टि से भी यह शुभ नहीं होता है और की जातक तमाम प्रकार के कष्ट का सामना करना पड़ता है इसकी शांति के उपाय के लिए राहु और केतु का मंत्र का जाप करना चाहिए पक्षियों को अन्न का दाना का दाना खिलाना चाहिए और हनुमान चालीसा का पाठ करनाचाहिए

शेषनाग कालसर्प योग जब राहु द्वादश स्वभाव में हो और केतु छठे भाव में हो तो यह योग बनता है।

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