बृहस्पति देव की आरती

बृहस्पति देव की आरती जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा। छिन छिन भोग लगौं, कदली फल मेवा॥ ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। जगतपिता जगदीश्वर, तुम सर्वस्व स्वामी॥ ऊँ brihaspati dev ki aarti जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥ चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता। सकल … Read more

शनि देव की आरती

शनि देव की आरती जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। ‎सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ ‎॥ जय जय श्री शनिदेव..॥ ‎श्याम अंक वज्र दृष्टान्त चतुर्भुजा धारी। नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ ‎॥ जय जय श्री शनिदेव..॥ शनि देव की आरतीक्रिट क्राउन शीशक रजित दीपत है लिलारी । ‎मुक्तन की माला शोभित बलिहारी॥ ‎॥ … Read more

shiv panchakshar stotra

shiv panchakshar stotra नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्माङ्गरागाय महेश्वराय।नित्याय शुद्धाय दिगम्बरायतस्मै अपराधीाय नमः शिवाय मंदाकिनीसलिलचंदनचर्चितायनंदीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।मन्दारपुष्पबाहुपुष्पसुपूजितायतस्मै मकराय नमः शिवायशिवाय गौरीवदनाभवृन्दसूर्याय दक्षाध्वर्नाकाय।श्रीनीलकण्ठाय वृषभध्वजायतस्मै शिकाराय नमः शिवाय कुंभोद्भवगौतमार्यमुनिन्द्र देवार्चिता शेखराय।चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनायतस्मै वक्राय नमः शिवाययज्ञस्वरूपाय जटाधरायपिनाकहस्ताय सनातनाय।दिव्याय देवाय दिगम्बरायतस्मै यकाराय नमः शिवाय पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पचेच्छिवसंनिधौ।शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदतेअर्थवे पास हैं जिनके पास साइयों के राजा हैं, उनके माला के रूप हैं, और … Read more

bhairav chalisa

भैरव चालीसा

भैरव चालीसा ‎॥ श्री भैरव चालीसा ॥ श्री गणपति गुरु गौरी सहित पद प्रेम धरि मठ। चालीसा वन्दन करौं श्री शिव भैरवनाथ ॥ श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल। ‎श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल ॥ जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी-कुटवाला॥ जयति बटुक-भैरव भय हरे। जयति काल-भैरव बलकारी॥ जयति … Read more

saraswati chalisa

saraswati chalisa दोहा ॥‎जनक जननि पद कमल रज,‎निज मस्तक पर धारि।‎‎बन्दौं मातु सरस्वती,‎बुद्धि बल दे दातारि॥‎‎पूर्ण जगत में व्याप्त तव,‎महिमा अमित अनंतु।‎‎रामसागर के पाप को,‎मातु तुही अब हन्तु॥‎‎॥ चौपाई ॥‎जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।‎जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥‎‎जय जय जय वीणाकर धारी।‎करती सदा सुहंस सवारी॥‎‎रूप चतुर्भुजधारी माता।‎सकल विश्व अन्दर विख्याता॥‎‎जग में पाप बुद्धि जब होती।‎जबहि धर्म … Read more

saraswati stotram

saraswati stotram विनियोगॐ अस्य श्री सरस्वतीस्तोत्रमंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः। गायत्री छन्दः।श्री सरस्वती देवता। धर्मार्थकाममोक्षार्थे जपे विनियोगः।आरूढ़ा श्वेतहंसे भ्रमति च गगने दक्षिणे चाक्षसूत्रं वामे हस्ते चदिव्याम्बरकनकमयं पुस्तकं ज्ञानगम्या। सा वीणां वादयंती स्वकरकरजपैः शास्त्रविज्ञानशब्दैःक्रीडंती दिव्यरूपा करकमलधरा भारती सुप्रसन्ना॥1॥ श्वेतपद्मासना देवी श्वेतगन्धानुलेपना।अर्चिता मुनिभिः सर्वैर्ऋषिभिः स्तूयते सदा।एवं ध्यात्वा सदा देवीं वांछितं लभते नरः॥2॥ शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्यापिनींवीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहम्‌।हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने … Read more

santoshi mata chalisa

santoshi mata chalisa दोहा ॥‎श्री गणपति पद नाय सिर,‎धरि हिय शारदा ध्यान।‎‎सन्तोषी मां की करुँ,‎कीरति सकल बखान॥‎‎॥ चौपाई ॥‎जय संतोषी मां जग जननी।‎खल मति दुष्ट दैत्य दल हननी॥‎‎गणपति देव तुम्हारे ताता।‎रिद्धि सिद्धि कहलावहं माता॥‎‎माता-पिता की रहौ दुलारी।‎कीरति केहि विधि कहुं तुम्हारी॥‎‎क्रीट मुकुट सिर अनुपम भारी।‎कानन कुण्डल को छवि न्यारी॥‎‎सोहत अंग छटा छवि प्यारी।‎सुन्दर चीर सुनहरी … Read more

ram chalisa

ram chalisa दोहा ॥‎आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं‎वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं‎बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्‎पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं‎‎॥ चौपाई ॥‎श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।‎सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥‎‎निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।‎ता सम भक्त और नहिं होई ॥‎‎ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।‎ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं … Read more