parvati chalisa
parvati chalisa दोहा ॥जय गिरि तनये दग्ये शम्भू प्रिये गुणखानिगणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवामिनी॥ चौपाई ॥ब्रह्मा भेद न तुम्हारे पावे, पांच बदना नित तुमको ध्यावेषट्मुखकाही न सक्तयश तेरो, सहसब श्रम करात घनेरो ॥1॥तेरो पार न पाबत माता, स्थित रक्षा ले हित दण्ड,आधार प्रबल सदृसिह अरुणाय, अति कामनाय नयन कजरारे ॥2॥ललित लालट विलेपिट … Read more