bhairav chalisa

भैरव चालीसा

भैरव चालीसा ‎॥ श्री भैरव चालीसा ॥ श्री गणपति गुरु गौरी सहित पद प्रेम धरि मठ। चालीसा वन्दन करौं श्री शिव भैरवनाथ ॥ श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल। ‎श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल ॥ जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी-कुटवाला॥ जयति बटुक-भैरव भय हरे। जयति काल-भैरव बलकारी॥ जयति … Read more

saraswati chalisa

saraswati chalisa दोहा ॥‎जनक जननि पद कमल रज,‎निज मस्तक पर धारि।‎‎बन्दौं मातु सरस्वती,‎बुद्धि बल दे दातारि॥‎‎पूर्ण जगत में व्याप्त तव,‎महिमा अमित अनंतु।‎‎रामसागर के पाप को,‎मातु तुही अब हन्तु॥‎‎॥ चौपाई ॥‎जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।‎जय सर्वज्ञ अमर अविनासी॥‎‎जय जय जय वीणाकर धारी।‎करती सदा सुहंस सवारी॥‎‎रूप चतुर्भुजधारी माता।‎सकल विश्व अन्दर विख्याता॥‎‎जग में पाप बुद्धि जब होती।‎जबहि धर्म … Read more

santoshi mata chalisa

santoshi mata chalisa दोहा ॥‎श्री गणपति पद नाय सिर,‎धरि हिय शारदा ध्यान।‎‎सन्तोषी मां की करुँ,‎कीरति सकल बखान॥‎‎॥ चौपाई ॥‎जय संतोषी मां जग जननी।‎खल मति दुष्ट दैत्य दल हननी॥‎‎गणपति देव तुम्हारे ताता।‎रिद्धि सिद्धि कहलावहं माता॥‎‎माता-पिता की रहौ दुलारी।‎कीरति केहि विधि कहुं तुम्हारी॥‎‎क्रीट मुकुट सिर अनुपम भारी।‎कानन कुण्डल को छवि न्यारी॥‎‎सोहत अंग छटा छवि प्यारी।‎सुन्दर चीर सुनहरी … Read more

ram chalisa

ram chalisa दोहा ॥‎आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं‎वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं‎बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्‎पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं‎‎॥ चौपाई ॥‎श्री रघुबीर भक्त हितकारी ।‎सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥‎‎निशि दिन ध्यान धरै जो कोई ।‎ता सम भक्त और नहिं होई ॥‎‎ध्यान धरे शिवजी मन माहीं ।‎ब्रह्मा इन्द्र पार नहिं … Read more

narsingh chalisa

narsingh chalisa नित-प्रति पाठ करे इक बारा‎सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।।35।।‎‎नरसिंह चालीसा जो जन गावे‎दु:ख-दरिद्र ताके निकट न आवे।।36।।‎‎चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे‎सो नर जग में सब कुछ पावे।।37।।‎‎यह श्री नरसिंह चालीसा‎पढ़े रंक होवे अवनीसा।।38।।‎‎जो ध्यावे सो नर सुख पावे‎तोही विमुख बहु दु:ख उठावे।।39।।‎‎‘शिवस्वरूप है शरण तुम्हारी‎हरो नाथ सब विपत्ति हमारी’।।40।।‎‎चारों युग गायें तेरी महिमा अपरंपार।‎निज … Read more

parvati chalisa

parvati chalisa दोहा ॥‎जय गिरि तनये दग्ये शम्भू प्रिये गुणखानि‎गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवामिनी‎‎॥ चौपाई ॥‎ब्रह्मा भेद न तुम्हारे पावे, पांच बदना नित तुमको ध्यावे‎षट्मुखकाही न सक्तयश तेरो, सहसब श्रम करात घनेरो ॥1॥‎‎तेरो पार न पाबत माता, स्थित रक्षा ले हित दण्ड,‎आधार प्रबल सदृसिह अरुणाय, अति कामनाय नयन कजरारे ॥2॥‎‎ललित लालट विलेपिट … Read more

surya chalisa

surya chalisa दोहा ॥‎कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,‎पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥‎चौपाई ॥‎जय सविता जय जयति दिवाकर,‎सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥‎‎भानु पतंग मरीची भास्कर,‎सविता हंस सुनूर विभाकर॥‎‎विवस्वान आदित्य विकर्तन,‎मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥‎‎अम्बरमणि खग रवि कहलाते,‎वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 4‎‎सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि,‎मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥‎‎अरुण सदृश सारथी मनोहर,‎हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥‎‎मंडल की महिमा … Read more

radha chalisa

radha chalisa ‎दोहा ॥‎श्री राधे वुषभानुजा,‎भक्तनि प्राणाधार ।‎वृन्दाविपिन विहारिणी,‎प्रानावौ बारम्बार ॥‎जैसो तैसो रावरौ,‎कृष्ण प्रिया सुखधाम ।‎चरण शरण निज दीजिये,‎सुन्दर सुखद ललाम ॥‎‎॥ चौपाई ॥‎जय वृषभान कुँवरी श्री श्यामा ।‎कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥‎‎नित्य विहारिनि श्याम अधारा ।‎अमित मोद मंगल दातारा ॥‎‎रास विलासिनि रस विस्तारिनि ।‎सहचरि सुभग यूथ मन भावनि ॥‎‎नित्य किशोरी राधा गोरी ।‎श्याम प्राणधन … Read more

mata vaishno devi chalisa

mata vaishno devi chalisa गरुड़ वाहिनी वैष्णवी‎त्रिकुटा पर्वत धाम‎काली, लक्ष्मी, सरस्वती,‎शक्ति तुम्हें प्रणाम।‎‎॥ चौपाई ॥‎नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,‎कलि काल मे शुभ कल्याणी।‎मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी,‎पिंडी रूप में हो अवतारी॥‎‎देवी देवता अंश दियो है,‎रत्नाकर घर जन्म लियो है।‎करी तपस्या राम को पाऊं,‎त्रेता की शक्ति कहलाऊं॥‎‎कहा राम मणि पर्वत जाओ,‎कलियुग की देवी कहलाओ।‎विष्णु रूप से कल्कि … Read more

laxmi chalisa

laxmi chalisa दोहा‎मातु लक्ष्मी करि कृपा करो हृदय में वास।‎मनो इच्छा सिद्ध कर पुरवहु मेरी आस॥‎सिन्धु सुता विष्णुप्रिये नट श्री बारम्बार।‎ऋद्धि सिद्धि मंगलप्रदे नट श्री बारंबार ॥ टेक ॥‎सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥‎तुम समान नहीं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥‎जय जय जगत जननि जगदंबा। हर एक तुम्हीं हो … Read more