narsingh chalisa
नित-प्रति पाठ करे इक बारा
सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।।35।।
नरसिंह चालीसा जो जन गावे
दु:ख-दरिद्र ताके निकट न आवे।।36।।
चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे
सो नर जग में सब कुछ पावे।।37।।
यह श्री नरसिंह चालीसा
पढ़े रंक होवे अवनीसा।।38।।
जो ध्यावे सो नर सुख पावे
तोही विमुख बहु दु:ख उठावे।।39।।
‘शिवस्वरूप है शरण तुम्हारी
हरो नाथ सब विपत्ति हमारी’।।40।।
चारों युग गायें तेरी महिमा अपरंपार।
निज भक्तनु के प्राण हित लियो जगत अवतार।।
नरसिंह चालीसा जो पढ़े प्रेम मगन शत बार।
उस घर आनंद रहे वैभव बढ़े अपार।।
(इति श्री नरसिंह चालीसा संपूर्णम्)
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